The Ashes Series : 140 साल पुरानी टेस्ट सीरीज, आखिर क्यों विजेता को मिलती है राख से भरी ट्रॉफी

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The Ashes Series

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The Ashes Series – दुनिया में भले ही कितनी अलग-अलग तरह की लीग आ जाए लेकिन टेस्ट क्रिकेट की जगह कोई भी नहीं ले सकता है। क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में जो मजा है जो रोमांच है वो किसी और लीग में नहीं है। वैसे तो दुनिया में टेस्ट मैचों की बहुत-सी सीरीज होती है। जिसमें एक देश की टीम दूसरे देश की टीम के साथ सीरीज और ट्रॉफी जीतने के लिए खेलती है। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके लिए टेस्ट सीरीज किसी वर्ल्ड कप से कम नहीं होती है।

दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जाने वाली 140 साल पुरानी (The Ashes Series) एशेज सीरीज की। दोनों टीमों के लिए एशेज सीरीज बहुत मायने रखती है। क्योंकि ये सीरीज दोनों टीमों के इतिहास से जुड़ी हुई है। तो क्या है (The Ashes Series) एशेज सीरीज का इतिहास और आखिरी क्यों जीतने वाली टीम को दी जाती है राख से भरी ट्रॉफी।

तो आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं इतिहास की 140 साल पुरानी टेस्ट सीरीज के बारे में। साथ ही हम जानेंगे कि आखिर क्यों जीतने वाली टीम को दी जाती है राख से भारी ट्रॉफी। मेरा नाम है जीतू और बिना किसी देरी के चलिए शुरू करते हैं।

एशेज सीरीज का इतिहास

दुनिया का पहला टेस्ट मैच साल 1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। उस समय क्रिकेट इतना लोकप्रिय खेल नहीं हुआ करता था इसलिए क्रिकेट के शुरूआती दिनों में ज्यादा मुकाबले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही खेले जाते थे। इसलिए ये दोनों एक दूसरे के सबसे पुराने प्रतिद्वंदी हैं। लेकिन इन दोनों के बीच खेले जाने वाली टेस्ट सीरीज का नाम एशेज कैसे पढ़ गया।

एशेज सीरीज की शुरुआत साल 1882 में हुई थी। जब ऑस्ट्रेलिया टीम इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। दोनो के बीच पहला मैच ओवल के मैदान पर खेला गया था। इस मैच में इंग्लैंड की टीम जीता हुआ मैच हार गई थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब इंग्लैंड को अपनी ही धरती पर हार का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड की इस हार को ब्रिटिश मीडिया बर्दाश नहीं कर पाया और उसने इंग्लैंड की इस हार को इंग्लैंड क्रिकेट की मौत बता दिया। उस समय के अखबार “द स्पोर्ट्स टाइम” ने लिखा कि इंग्लैंड में क्रिकेट की मौत हो चुकी है और उसकी चिता जलाने के बाद राख (एशेज) को ऑस्ट्रेलिया अपने साथ ले जा रही है।

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इसके बाद साल 1883 में इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। इस दौरे पर जाने से पहले इंग्लैंड के कप्तान “इवो ​​​​ब्लीग” ने कहा था कि वो एशेज को वापस लेने जा रहे हैं। तब ब्रिटिश मीडिया ने इस बात को “Regain The Ashes” कहा था। इंग्लैंड के कप्तान ने जैसा कहा था वैसा किया भी। ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे पर इंग्लैंड ने 3 मैचों की सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया।

आखिर क्यों विजेता को मिलती है राख से भरी ट्रॉफी

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ऐसा माना जाता है कि जब इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी और शुरुआती 2 मैच जीत गई थी तो तीसरे मैच में मेलबर्न की एक महिला ने दूसरे मैच में उपयोग हुई स्टंप्स की गिल्लियों को जलाकर एक छोटी सी बोतल के आकर वाली चीज में भर दिया था। इंग्लैंड के सीरीज जीतने पर इंग्लैंड की टीम के कप्तान इवो ब्लीग को तोहफे में वो बोतल वाली राख (एशेज) ही दी गई थी। जो इस सीरीज का प्रतीक बन गई। यहीं से “द एशेज सीरीज” की शुरुआत हुई। इसलिए ही एशेज सीरीज जीतने वाली टीम को ये राख से भरी ट्रॉफी दी जाती है। हालांकि असली ट्रॉफी लॉर्ड्स के एमसीसी संग्रहालय में रखी हुई है। इसलिए विजेता टीम को उसी के जैसी दूसरी ट्रॉफी बनाकर दी जाती है।

एशेज में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का आमना सामना

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साल 1882 से अब तक कुल 72 एशेज सीरीज में 334 मैच खेले जा चुके हैं। जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 34 सीरीज जीत कर अपना दबदबा बनाया हुआ है। वही इंग्लैंड ने 32 सीरीज अपने नाम करी हैं। इसके अलावा 6 सीरीज ड्रॉ रही हैं। साल 2021-22 में खेली गई एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को बुरी तरह हराकर 4-0 से सीरीज अपने नाम करी थी। साल 2023 की एशेज सीरीज भी शुरू हो चुकी है जोकी इस बार इंग्लैंड में खेली जा रही है। अब देखना ये है की क्या इंग्लैंड अपनी पिछली हार का बदला लेने में कामयाब हो पता है या नहीं।

आशा करता हूँ आपको ये लेख पसंद आया होगा। टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शून्य पर आउट होने वाले बल्लेबाज के बारे में जानने के लिए क्लिक करें।

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